लोगो ने ये कौन सी
ऱीवाज पाल रखी
जहाँ खुद की
पाकीजगी साबित
करने की चाह में
दूसरो को गिराना
पडा,
मसाइबो की क्या कमी
खुद की रयाजत और
उसके समर की है आस..
रफाकते भी चंद दिनो
की
पर मुजमहिल इस कदर
कि
मैं हि मैं हूँ।
न जाने
वो इख्लास की
छवि गई कहाँ
जहाँ अजीजो की
खुदी की जरकार
साबित करने की चाह में
लोगो ने ये कौन सी
रिवाज़ पाल रखी है
इक हक़ीक़त ऐसी
जिससे नज़रे भी
बचती और बचाती है..
पम्मी
आपने लिखा...
जवाब देंहटाएंकुछ लोगों ने ही पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 29/04/2016 को पांच लिंकों का आनंद के
अंक 287 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।
जी,धन्यवाद.
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (29-04-2016) को "मेरा रेडियो कार्यक्रम" (चर्चा अंक-2327) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जी,धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंकुलदीप जी, आपका प्रयास सराहनीय और बेहतरीन है। हमे आपका यह कदम बहुत अच्छा लगा। इसलिए आपके ब्लाॅग को हमने Best Hindi Blogs में लिस्टेड किया है।
जवाब देंहटाएंSorry Kuldeep ji, Please goto here your blog listing
जवाब देंहटाएंBest Group Blogs
Thank you..
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