ब्लौग सेतु....

9 नवंबर 2016

मलहम.....कल्पना पांडेय

जब कभी हारने लगो तो ....
शब्दों का मलहम नहीं 
अपने से...
अपनी ख्वाइशों के वादों का इक टुकड़ा
खुद पर रख लो
जख्मी हौसलों को आराम मिलेगा 
इक बार फिर इक नया आयाम मिलेगा !

लेखक परिचय - कल्पना पांडेय 

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