ब्लौग सेतु....

7 अगस्त 2016

 तुम तक दिल के भावों को लाऊँ कैसे —--महेश चन्द्र गुप्त ’ख़लिश’ 

तुम तक दिल के भावों को लाऊँ कैसे
तुमसे उल्फ़त है ये समझाऊँ कैसे
शब्दों में जो पूछा वो तो समझा है
नज़रों का मतलब लेकिन पाऊँ कैसे
मैंने मन में शक को ना हरगिज़ पाला
दिलबर का शक ख़ारिज करवाऊँ कैसे
जीवन पथ में मिल कर हमको चलना था
आधे रस्ते से अब मुड़ जाऊँ कैसे
मैंने बंधन को कर्तव्य ख़लिश समझा
मन में दूजे को मैं बिठलाऊँ कैसे.

महेश चन्द्र गुप्त ’ख़लिश’
द्वारा एक मंच  गुगल समुह पर...
दिनांक 7 अगस्त 2016

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