बहुत हो गया, एक काम करो -
चढ़ा दो
उसे फांसी पर !
क्यों, क्योंकि -
वह गांधीवादी तो है
पर तालीबानी गांधीवादी है !
वह अहिंसा का पुजारी तो है
पर हिटलर है !
वह बहुत खतरनाक है !
क्यों, क्योंकि -
वह खुद के लिए नहीं
आम लोगों के लिए लड़ रहा है !
ऐंसे लोग बेहद खतरनाक होते हैं
जो खुद के लिए न लड़कर
आम लोगों के लिए लड़ते हैं !
वह किसी न किसी दिन
हमारे लिए
खतरा साबित होकर रहेगा !
जितना बड़ा खतरा आज है
उससे भी कहीं ज्यादा बड़ा खतरा !
इसलिए -
जाओ, पकड़ के ले आओ उसे
ड़ाल दो, किसी अंधेरी काल कोठारी में !
और तो और, मौक़ा मिलते ही -
चढ़ा दो
उसे फांसी पर !!
लेखक परिचय -- श्याम कोरी 'उदय'
Bahut hi badhiyaan prastuti...badhayi...shubhkamnaayein...
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसुरत अभिव्यक्ति
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