भीगे गीले शब्द
जिन्हें मैं छोड़ चुका था
हर रिश्ते नाते
जिनसे मैं तोड़ चुका था
सोचा था कि
अब नहीं आऊँगा उनके हाथ
पर आज महफ़िल जमाए बैठा हूँ
फिर से
भीगी रात में
उन्हीं भीगे शब्दों के साथ.... !!
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Bhut bhawpurn ... Sunder prastuti !!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संजय जी मेरी रचना को कविता मंच पर स्थान देने के लिए !
जवाब देंहटाएंआभार ! :)
वाह ....बहुत ही अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंnice post.
जवाब देंहटाएंPlease visit here also - http://hindikavitamanch.blogspot.in/
सुंदर
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