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26 सितंबर 2014

भीगे शब्द -- शिवनाथ कुमार


भीगे गीले शब्द 
जिन्हें मैं छोड़ चुका था 
हर रिश्ते नाते 
जिनसे मैं तोड़ चुका था

सोचा था कि
अब नहीं आऊँगा उनके हाथ 
पर आज महफ़िल जमाए बैठा हूँ 
फिर से 
भीगी रात में 
उन्हीं भीगे शब्दों के साथ.... !!



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