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23 नवंबर 2015

अपना भारत आगे बढ़ रहा है.........हितेश कुमार शर्मा



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लड़ी  होंगी  आज़ादी  की   कई  लड़ाईयां  हमारे   पूर्वजों  ने 
आज  तो  हर   इंसान  अपने  आप  से  लड़  रहा  है 
और  इसी  तरह  अपना  भारत  आगे  बढ़ रहा  है ii
कहीं  बिजली  और   पानी  के  लिए  हो  रही  लड़ाई 
और इन सब पर सीना ताने खड़ी है कमरतोड़ महंगाई 
एक  तरफ  भूख  से  बिलखते  लोग 
और  दूसरी   तरफ  अनाज  गोदामों मैं  सड़ रहा  है 
और  इसी  तरह  अपना  भारत  आगे  बढ़  रहा  है II
कोई  नहीं सुरक्षित  ,चाहे  सड़क  हो,  रेल  हो , या  हो  पैदल 
अपनों  से   धोखा, गैरों  से  सितम , है  सकते  में  हर  दिल ,
राह  में  राही,  हैं  आपस  में  भाई  भाई   का  नारा  हुआ  दूर 
अब  तो  अपनी  गलती  होने  पर  भी  दूसरे  पर  अकड़  रहा  है 
और  इसी  तरह  अपना  भारत  आगे  बढ़  रहा  है II
तन  पर  कपडा  नहीं ,पेट  में  रोटी  नहीं  और  नहीं  है  रहने  को  मकान ,
इस  आजाद  देश  में  भी  बन  कर  रह  गयें  हैं  गुलाम ,
और  दूसरी  तरफ  कोई  अपने  को  सोने  और  हीरे  से  जड़  रहा  है 
और  इसी  तरह  अपना  भारत  आगे  बढ़  रहा  है II
जहाँ  इंसानियत  और  सराफत  का  होता  नित्य  बलात्कार 
धरम , जाति  और मज़हब   के  लिए  मचा है  हाहाकार
रंगे हाथो  पकडे  जाने  पर  भी  ,दुसरो  पर  दोष  मड  रहा  है 
और  इसी  तरह  अपना  भारत  आगे  बढ़  रहा  है II
रिश्ते  महंगे  ,दोस्ती  म्हनंगी  और  हुई दुश्मनी सस्ती ,
इसी  रोग  से  सभी  ग्रस्त  हैं  क्या  शहर,  क्या  गाँव,  क्या  बस्ती 
प्रेम  की  किताब  से  हर  कोई  नफरत  की  भाषा  पढ़   रहा  है 
और  इसी  तरह  अपना  भारत  आगे  बढ़  रहा  है II
अपने  हित  के  लिए  क्यों  इंसान सब  को  बेगाना  कर  रहा  है 
तू  क्यों   करता  है  वो  सब  जो  सारा  जमाना  कर  रहा  है 
चार  दिन  की  जिंदगी  और  सालों  से  भटक  रहा  है 
और  इसी  तरह  अपना  भारत  आगे  बढ़  रहा  है II
थी  जो  गुलामी  की  अब  टूट  चुकी  हैं  वो  जंजीरें 
चंद  के  हाथों  से  लिखी  जाती  हैं  सरे  देश  की  तकदीरें 
और  पूरा  भारत  अब  इन्हिकी  मुठी  में  सिकुड़  रहा  है 
और  इसी  तरह  अपना  भारत  आगे  बढ़  रहा  है II
हितेश कुमार शर्मा 

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