ऐसा हिंदोस्तान चाहिए
राजेश त्रिपाठी
राम को चोट लगे तो रहीम
को आंसू आये।
रहीम को रंज
हो तो राम
सो न पाये ।।
गंगा-जमनी तहजीब जहां हरदम विराज
करे । सभी के लिए दिलों में
मोहब्बत परवाज करे ।।
रस्मों में फर्क
हो पर दिलों
में नहीं ।
फिरकावाराना वारदात ना
हो पाये कहीं ।।
मंदिरों में शंखनाद हो, मसजिदों में गूंजे अजान। एकजहती की आला मिसाल बने हिंदोस्तान ।।
ऐसे भी हालात इन दिनों मुल्क में पाये गये हैं । अपने कभी
थे पल भर
में वे पराये हुए हैं ।।
भाई यहां देखो भाई
का गला काट रहा है। सियासत
का गंदा खेल
दिलों को बांट
रहा है ।।
बरसों से सभी कौम
के लोग साथ रहते आये हैं।फिर क्या
हुआ जो बढ़ रहे नफरतों के साये हैं।।
क्यों शहर दर शहर खूंरेजी, कत्ल बवाल है। क्यों मजहबों के बीच दीवारें उठीं क्या मलाल
है ।।
हिंदोस्तानी हूं
मैं, दिल में उठता सवाल है। जो भाई का घर फूंक रहा,वह भी न बचेगा खयाल है।।
मुल्क की
दुश्मन हैं जो ताकतें हमें बांट रही
हैं । उनकी सियासत चल रही वो चांदी काट रही हैं ।।
आपस में सब
भाई हैं सब हिंदोस्तानी
हैं । सबके दर्द एक हैं सबकी इक जैसी कहानी है ।।
हर हिंदोस्तानी को
कसम है, है खुदा का वास्ता । हम मोहब्बत
से जियें बस यही है सच्चा रास्ता ।।
पैगंबर से लेकर धर्मगुरु तक ने दिया प्रेम का संदेश। प्रेम
जगत का सार है कुछ इससे नहीं विशेष ।।
गिले-शिकवे भूल कर यह अहद कर लें आज । मुल्क
में अम्नोअमान हो लायेंगे
मोहब्बतों का राज ।।
दिशा दिशा में दावानल क्यों,चप्पे चप्पे हाहाकार। शैतानी
हैं कौन ताकतें करतीं नफरत का व्यापार ।।
ना तख्त,ना ताज, ना ऐश का सामान चाहिए।एकजहती, अमन का
राज हो ऐसा हिंदोस्तान चाहिए ।।
सुन्दर रचना ....बधाई |
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शुक्ला जी नमस्कार। हौसलाआफजाई के लिए आभार। दरअसल यही कामना गै कि देश में भाईचारा हो, वैमनस्य और द्वैष की बढ़ती आंधी थमे और हम सचमुच गर्व से कह पायें-मेरा भारत महान। राजेश त्रिपाठी
हटाएंबढ़िया
जवाब देंहटाएंसुमन जी आभार। आपको सार्थक लगे मेरे विचार। शायद ऐसे ही देश की कल्पना हर भारतवासी को करनी चाहिए तब वैमनस्य, द्वैष और अलगाव का अंधेरा अवश्य छंट जायेगा।-राजेश त्रिपाठी
हटाएंशास्त्री जी प्रणाम। आपका आभार की आपने मेरे विचारों का समर्थन और उनको अपना मंच भी देने की कृपा की। इच्छा यही है कि मेरा भारत प्रेम, सौहार्द का अनोखा उदाहरण बने और अपने इस गुण के लिए विश्व में समादृत हो। आभार। राजेश त्रिपाठी
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