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| हिन्द धरा है परम वीरों की |
| करूँ मैं नमन बारम्बार |
| वतन के हित में जो बलि हुए |
| वो भारत के हैं अमूल्य उपहार |
| हैं वो बड़े भाग्यशाली |
| जो वतन के लिए जान गवांते |
| नहीं मिलता ऐसा नसीब सबको |
| सही में वो माटी का क़र्ज़ चुकाते |
| उनकी पावन चिता की राख को |
| आओ निज शीश धरे हम |
| उनके बलिदान को याद कर |
| अश्रूं संग नयन भरे हम |
| हिन्द इतिहास भरा है वीरों से |
| माटी इसकी चांदी -सोना है |
| बहुत हुआ अब और नहीं सहेंगे |
| अब कोई वीर हमें नहीं खोना है |
| जब राजनीती होती वीरों के बलिदान पर |
| हर देशभक्त का मन है रोता |
| निज स्वार्थ का चोला पहने |
| हमदर्दी दिखाते हैं कुछ राजनेता |
| वे हैं मतलबी और देशद्रोही नेता |
| है उनको बारम्बार धिक्कार |
| आओ सब मिलकर इनको सबक सिखाये |
| ये है भारतमाता की करुण पुकार |
| जागो जागो ! अब तो हिन्द के वासियो |
| धरम,जाति की बेड़ियों को अब तोडना है |
| देश द्रोह की भाषा बोलने वालो का |
| गर्व भरा मस्तिक अब हमें फोड़ना है |
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11 फ़रवरी 2016
हिन्द के वीर
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बहुत सुन्दर रचना । नमन शहीदों को ।
जवाब देंहटाएंलांसनायक हनुमनत्थप्पा को सादर श्रद्धांजलि ।
जय हिन्द !
जवाब देंहटाएं