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8 फ़रवरी 2016

दिल की धड़कन (ग़ज़ल)................हितेश कुमार शर्मा

                                                                                                  
फिर इस दिल की  धड़कन  ने  दी  आवाज़ है 
उनके रुख का बेपर्दा होने का क्या  राज  है 
फिर इस दिल की  धड़कन  ने  दी  आवाज़ है 
दिनो के बाद इस दिल ने आज ख़ामोशी तोड़ी है 
उनका नज़र मिलाने का भी  ये क्या अंदाज़  है 
फिर इस दिल की  धड़कन  ने  दी  आवाज़ है 
सूरज भी आज ठहर गया है किसी के इंतज़ार में 
डर उसे है कि क्या चाँद  उस  से  नाराज़  है 
फिर इस दिल की  धड़कन  ने  दी  आवाज़ है 
समझे थे कि मोहब्बत फ़ना हो  गयी  अपनी 
पर अब लगता है कि ये नए सफर का आगाज है 
फिर इस दिल की  धड़कन  ने  दी  आवाज़ है 
उनकी मुस्कराहट की कीमत कोई  क्या  जाने ,
ये तो हमारे दिल की धड़कन  का  साज  है 
फिर इस दिल की  धड़कन  ने  दी  आवाज़ है 
उनका बेपर्दा हुस्न ने इस दिल को जवान रखा है 
इसी से तो बेकाबू हुए अपने जज़्बात  हैं 
फिर इस दिल की  धड़कन  ने  दी  आवाज़ है 
ये अच्छा हुआ कि अब जीने का मक़सद मिल गया 
उनके चहरे की हंसी से ज़िंदा अपने अलफ़ाज़  हैं 
फिर इस दिल की  धड़कन  ने  दी  आवाज़ है 

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