हिन्द धरा है परम वीरों की |
करूँ मैं नमन बारम्बार |
वतन के हित में जो बलि हुए |
वो भारत के हैं अमूल्य उपहार |
हैं वो बड़े भाग्यशाली |
जो वतन के लिए जान गवांते |
नहीं मिलता ऐसा नसीब सबको |
सही में वो माटी का क़र्ज़ चुकाते |
है इतिहास सदा ही साक्षी |
कि जीत हमारे कदम चूमती है |
दुश्मन थर थर कांपते हैं |
नज़र वीरों की जिधर घूमती है |
हिन्द इतिहास भरा है वीरों से |
माटी इसकी चांदी -सोना है |
बहुत हुआ अब और नहीं सहेंगे |
अब कोई वीर हमें नहीं खोना है |
कफ़न तिरंगे का जो |
शान से ओढ़ा करते हैं |
फिर दुश्मन की तो बात ही क्या |
मौत से भी नहीं डरा करते हैं |
ऐसे वीर योद्धा सदा ही |
इतिहास में अमर हो जाया करते हैं |
उनकी वीरता की गाथा, इंसान तो क्या |
देवता भी गाया करते हैं |
उनकी पावन चिता की राख को |
आओ निज शीश धरे हम |
उनके बलिदान को याद कर |
अश्रूं संग नयन भरे हम |
बह चली अब हर हिंदुस्तानी में |
वीरता की रसधार है |
ऐ खुदा ! अगले जन्म हमें भी सैनिक कीजो |
ये अब हर दिल की वीर पुकार हैं |
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12 फ़रवरी 2016
हिन्द के वीर -II
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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बसन्त पंञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'