बद से बदतर हो रहे हालात बोलो क्या करें।
कोई सुनता है नहीं अब बात बोलो क्या करें।।
कैसे बदलेंगे देश के हालात बोलो क्या करें ।
रहनुमा मुल्क के बेपरवाह बोलो क्या करें।।
यों ही जाया हुआ संसद सत्र बोलो क्या करें।
खतरे देश पर मंडरा रहे बोलो क्या करें।।
बेकार और मजलूम है बेचैन बोलो क्या करें।
गलत राहों पर रख रहे जो पांव बोलो क्या करें।।
बारूद के ढेर पर बैठा संसार बोलो क्या करें।
आतंक का बढ़ रहा व्यापार बोलो क्या करें।।
दहशत ही दहशत हर तरफ बोलो क्या करें।
अपने ही करते हों घात तब बोलो क्या करें।।
किसी की हर रात दीवाली है बोलो क्या करें।
किसी का दिन उदास रात काली बोलो क्या करें।।
कोई खाना है कचड़े में फेंक रहा बोलो क्या करें।
किसी के लिए इक निवाला नहीं बोलो क्या करें।।
मजलूम कल खिलाफत कर उठे तो बोलो क्या करें।
जब हद हो गयी हो बरदाश्त की बोलो क्या करें।।
कुछ मस्त हैं पर ज्यादा त्रस्त हैं बोलो क्या करें।
कब तलक कोई भूखा मरेगा बोलो हम क्या करें।।
जुल्मो सितम हो हर तरफ बोलो भला क्या करें।
जख्म जब मुसलसल हो मिल रहे बोलो क्या करें।।
हिंदोस्तां पहले ऐसा तो ना था बोलो क्या करें।
भाईचारे में जब दरार पड़ रही बोलो क्या करें।।
यही ख्वाहिश है सब ठीक हो और बोलो क्या करें।
इल्तिजा अपनी यही है और बोलो क्या करें।।
बहुत बढ़िया रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
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