माँ भारती,माँ भारती,
हम सब उतारे तेरी आरती|
हिमालय ताज तेरा बना,
माथे पे तेरे सज रहा|
सागर नतमस्तक हुआ,
पाँवो को तेरे धो रहा|
बाहों सी पर्वत श्रृंखलाएँ,
सौंदर्य तेरा निखारती|
माँ भारती ,माँ भारती,
हम सब उतारे तेरी आरती|
नदियाँ यहाँ कल-कल करे,
हवाएँ खेतो में झूमती|
गेहूँ की बाली झूमर करे,
पेड़ो पर कोयल कूकती|
तू ही तो है हमारे,
देश को सँवारती|
माँ भारती,माँ भारती,
हम सब उतारे तेरी आरती|
सिंह पर आरूढ़ हो माँ,
तिरंगा हाथों में धारती|
अपनी एक हुंकार से माँ,
दुश्मनों को है संहारती|
तू ही तो हे माँ हमें,
कष्टो से है निवारती|
माँ भारती,माँ भारती,
हम सब उतारे तेरी आरती|
-राजेश्वरी जोशी
उत्तराखंड,भारत
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...
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