ब्लौग सेतु....

17 जनवरी 2016

वो हँस के क्या मिला मेरी किस्मत बदल गई....संजय कुमार गिरि

सूरत बदल गई कभी सीरत बदल गई।
इंसान की तो सारी हक़ीक़त बदल गई।

पैसे अभी तो आए नहीं पास आपके,
ये क्या अभी से आप की नीयत बदल गई।

मंदिर को छोड़ "मयकदे" जाने लगे हैं लोग,
इंसा की अब तो तर्ज़े-ए-इबादत बदल गई।

खाना नहीं ग़रीब को भर पेट मिल रहा,
कैसे कहूँ गरीब की हालत बदल गई।

नफ़रत का राज अब तो हर सू दिखाई दे,
पहले थी जो दिलों में मुहब्बत बदल गई।

देता न था जवाब जो मेरे सलाम का,
वो हँस के क्या मिला मेरी किस्मत बदल गई।


संजय कुमार गिरि
sanjaygiri75@gmail.com

2 टिप्‍पणियां:

  1. Sundar prastutui .
    your most welcome to my blog.
    http://iwillrocknow.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  2. पैसे अभी तो आए नहीं पास आपके,
    ये क्या अभी से आप की नीयत बदल गई।
    बहुत खूब!

    जवाब देंहटाएं

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