हँसी में घुल जाती है
ख़ुशी में मिल जाती है
है अनीता एक सुगंध मधुर
हर पुस्तक में मुस्काती है
लिखकर वो भाव अपने
जीवन को जगमगाती है
और झिलमिल-झिलमिल तारों को भी
चाँद बन वो पढ़ाती है
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एक अलग किस्म की छटा है वो
हृदय के हर्ष की वो सुंदरता है
जो भी उससे मिल लेता है
पुष्प सा वो भी खिलता है
अलंकृत हो जाता है वो क्षण
जिससे करती वो मित्रता है
सुबह का आभामयी सूरज
उसकी ही तो प्रसन्नता है
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वीरता का एक काव्य है वो
वीरों से भरी वो गाथा है
उसका हर शब्द, शब्द से साहस लेकर
अपूर्व शौर्य बन जाता है
है तलवार सा कभी वो करता नृत्य
तीर सा कभी वो गाता है
कभी घोड़े पे होकर सवार वो
लहराता विजय की पताका है
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मन के इंद्रधनुषी रंगों से
चित्र जग के वो बनाती है
नदिया सी वो बहती है
सागर सी वो गहराती है
बन आकाश जहाँ में सारे
सिर्फ़ खुशियाँ वो फैलाती है
उसका एक नाम नई ख़ुशी भी है
और वो खुद भी खुशहाली है
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हँसी में घुल जाती है
ख़ुशी में मिल जाती है
है अनीता एक सुगंध मधुर
हर पुस्तक में मुस्काती है
लिखकर वो भाव अपने
जीवन को जगमगाती है
और झिलमिल-झिलमिल तारों को भी
चाँद बन वो पढ़ाती है
-विवेक रतन सिंह
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 24 जनवरी 2016 को लिंक की जाएगी...............http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति
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