कुलपति साहब तो क्या
उस छात्रा को
संस्थान की अस्मिता के लिए
संस्थान की अस्मिता के लिए
अपनी अस्मिता
क़ुर्बान करनी चाहिए थी ?
क़ुर्बान करनी चाहिए थी ?
बीएचयू के मुखिया को
ऐसी बयानबाज़ी करनी चाहिए थी ?
जो बेटियों द्वारा संस्थान की अस्मिता के लिए
आहूत शुद्धि-यज्ञ को
सियासी साज़िश बताते हैं
ऐसी विभाजनकारी मानसिकता के
लोग भी सरकारी कृपा से कुलपति बन जाते हैं।
ऐसी बयानबाज़ी करनी चाहिए थी ?
जो बेटियों द्वारा संस्थान की अस्मिता के लिए
आहूत शुद्धि-यज्ञ को
सियासी साज़िश बताते हैं
ऐसी विभाजनकारी मानसिकता के
लोग भी सरकारी कृपा से कुलपति बन जाते हैं।
सभ्यता की सीढ़ियाँ
चढ़ता मनुष्य
चढ़ता मनुष्य
पशुओं से अधिक
पाशविक-व्यवहार पर
उतर आया है
घटना का ज़िक्र देख-सुन
आँखों में लहू उतर आया है।
साइकिल पर शाम साढ़े छह बजे
पाशविक-व्यवहार पर
उतर आया है
घटना का ज़िक्र देख-सुन
आँखों में लहू उतर आया है।
साइकिल पर शाम साढ़े छह बजे
बीएचयू कैंम्पस में हॉस्टल जाती
17 वर्षीय एक छात्रा के
वस्त्रों में
बाइक पर सवार होकर
वस्त्रों में
बाइक पर सवार होकर
हाथ डालने के संस्कार
किसी माँ-बाप ने
अपने अशिष्ट,मनोरोगी बेटे को दिये हैं ?
अपने अशिष्ट,मनोरोगी बेटे को दिये हैं ?
मीडिया प्रबंधन की
पोल खुल गयी है
पोल खुल गयी है
विज्ञापनों के फेर में
मीडिया-मालिक की ज़ेहनियत पर
मीडिया-मालिक की ज़ेहनियत पर
फ़रेबी-संवेदना की कलई अब धुल गयी है।
अफ़सोस कि वाराणसी एक तीर्थ है
जहाँ भी मानवता को
शर्मसार करने वाले भेड़िये पलते हैं
शर्मसार करने वाले भेड़िये पलते हैं
सर्वविद्या की सांस्कृतिक राजधानी में
वर्जनाओं की फ़ौलादी ज़मीं पर
सामंतवादी पुरुषसत्ता की टकसाल में
सांस्कृतिक बेड़ियों के सिक्के ढलते हैं।
सांस्कृतिक बेड़ियों के सिक्के ढलते हैं।
धरने पर बैठी बेटियाँ
अपनी सुरक्षा के लिए
सड़क पर रात गुज़ारती हैं
अगली अँधेरी रात में वे निहत्थी हैं फिर भी
पुरुष-पुलिस की सर पर लाठियां खाती हैं।
कमाल का मलाल है बनारसी लोगों के मन में
उन्हें अफ़सोस है कि प्रधानमंत्री के काफ़िले का रुट बदलने से
उनके द्वार की मिटटी पवित्र न होने पाई ... .!
सुनो !
खोखली मान्यताओं के पहरेदारो
बेटी है अब सड़क पर उतर आई
नए मूल्यों की इबारत लिखने से रोक पाओगे ?
नए मूल्यों की इबारत लिखने से रोक पाओगे ?
सुनो!
पशुओं को भी लज्जित कर देने वाले दरिंदो
तुम भी किसी के जीवनसाथी क्या अब बन पाओगे ?
तुम किसी माई के लाल हो
किसी बाप की नाक का बाल हो
तुम किसी माई के लाल हो
किसी बाप की नाक का बाल हो
तुम भी किसी बहन के हो भाई
या किसी बेटी के बनोगे बाप..!
तुम्हारा ज़मीर जाग जाय तो अच्छा है
वरना जीवनभर अंधकार में भटकोगे कचोटेगा संताप..!
ख़ुफ़िया-तंत्र को चुल्लूभर पानी काफ़ी है
हमारी ओर से उसे नहीं कोई माफ़ी है।
ख़बर है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की
नींद आज खुल गयी है
नींद आज खुल गयी है
राष्ट्रीय महिला आयोग की
न जाने क्यों घिग्घी बंध गयी है ?
न जाने क्यों घिग्घी बंध गयी है ?
#रवीन्द्र सिंह यादव
शब्दार्थ / पर्यायवाची। WORD MEANINGS
कुलपति= विश्वविद्यालय का शीर्ष अधिकारी /VICE CHANCELLOR
संस्थान - INSTITUTE
अस्मिता = गौरव ,गरिमा , अभिमान ,पहचान / PRIDE / MODESTY
क़ुर्बान= मिटा देना(स्वयं को ) , बलिदान करना , त्याग करना / SACRIFICE
बीएचयू = बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी
पाशविक व्यवहार= पशुओं जैसा बर्ताव , नृशंस व्यवहार /BEHAVE LIKE ANIMAL, BRUTAL ACTIVITIES
साइकिल = मानवीय ऊर्जा से चालित दो पहिया वाहन / BICYCLE
(BI = दो , CYCLE = चक्र / पहिया अर्थात जिसमें दो पहिये हों )
बाइक = मोटर साइकिल, स्वचालित दो पहिया वाहन / MOTOR CYCLE / BIKE
अशिष्ट = असभ्य , शिष्टाचार से परे ,बदतमीज़ ,गुस्ताख़ / UNCIVILIZED
फ़रेबी-संवेदना= छुपे ग़लत मक़सद की संवेदना / FALSE SENSITIVITY
ज़ेहनियत = मानसिकता / MENTALITY
सामयिक सृजन
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