आज एक चित्र देखा मासूम फटेहाल भाई-बहन किसी आसन्न आशंका से डरे हुए हैं और बहन अपने भाई की गोद में उसके चीथड़े हुए वसन थामे अपना चेहरा छुपाये हुए है -
अभावों के होते हैं ख़ूबसूरत स्वभाव,
देखती हैं नज़रें भाई-बहन के लगाव।
हो सुरक्षा का एहसास तो भाई का दामन ,
ढूंढ़ोगे ममता याद आएगा माई का दामन।
जीवन हमारा है बना दुःखों की चक्की,
पिसते रहेंगे सब चाहे हों लकी अनलकी।
ज़माने से हम भी हक़ हासिल करेंगे,
आफ़त पे जीत बे-शक हासिल करेंगे।
है प्रभु का शुक्राना आज सलामत हैं हम,
किस लमहे की आख़िर ज़मानत हैं हम ?
#रवीन्द्र सिंह यादव
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