ब्लौग सेतु....

8 अक्टूबर 2017

करवा चौथ


कार्तिक-कृष्णपक्ष  चौथ का चाँद 
देखती हैं सुहागिनें 
आटा  छलनी  से....  
उर्ध्व-क्षैतिज तारों के जाल से 
दिखता चाँद 
सुनाता है दो दिलों का अंतर्नाद। 


सुख-सौभाग्य की इच्छा का संकल्प 
होता नहीं जिसका विकल्प 
एक ही अक्स समाया रहता 
आँख से ह्रदय तक 
जीवनसाथी को समर्पित 
निर्जला व्रत  चंद्रोदय तक। 


छलनी से छनकर आती चाँदनी में होती है 
सुरमयी   सौम्य सरस  अतीव  ऊर्जा 
शीतल एहसास से हिय हिलोरें लेता 
होता नज़रों के बीच जब छलनी-सा  पर्दा।  


बे-शक चाँद पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह है
उबड़-खाबड़  सतह  पर  कैसा ईश अनुग्रह है ? 
वहां जीवन अनुपलब्ध  है 
न ही ऑक्सीजन उपलब्ध है 
ग्रेविटी  में छह गुना अंतर है 
दूरी 3,84,400 किलोमीटर है 
फिर भी चाँद हमारी संस्कृति की महकती ख़ुशबू है 
जो महकाती है जीवन पल-पल जीवनभर अनवरत......! 

#रवींद्र सिंह यादव 

10 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. हार्दिक आभार आपका आदरणीय मनोबल बढ़ने के लिए।

      हटाएं
  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (09-10-2017) को
    "जी.एस.टी. के भ्रष्टाचारी अवरोध" (चर्चा अंक 2751)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    करवाचौथ की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार आपका आदरणीय शास्त्री जी रचना को चर्चामंच में स्थान देने के लिए। चर्चामंच में रचना के सम्मिलित होने पर गर्व महसूस होता है। बहुत-बहुत शुक्रिया आपका।

      हटाएं
  3. फिर भी चाँद हमारी संस्कृति की महकती ख़ुशबू है
    जो महकाती है जीवन पल-पल जीवनभर अनवरत।
    बहुत सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार आदरणीया ज्योति जी। आपका सतत उत्साहवर्धन लेखन को प्रेरित करता है ।

      हटाएं
  4. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन भारतीय वायुसेना दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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    उत्तर
    1. हार्दिक आभार हर्षवर्धन जी। रचना को ब्लॉग -बुलेटिन में स्थान मिलने पर आत्मिक ख़ुशी हुई।

      हटाएं
  5. हार्दिक आभार आपका उत्साहवर्धन के लिए।

    जवाब देंहटाएं

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