ब्लौग सेतु....

3 जुलाई 2017

भँवर..........निर्मला शर्मा 'निर्मल'










समुद्र की गहराई तक 
पहुँचने के लिए
मुझे इक भँवर चाहिए। 
लहरों के सहारे 
पार लग जाऊँ 
यह इच्छा नहीं है मेरी,
मुझे तो मंथन चाहिए 
अथाह प्यार चाहिए 
सागर की गहराई का 
जिसमें डूब कर 
उभर जाऊँ मैं।
-निर्मला शर्मा 'निर्मल'

7 टिप्‍पणियां:

  1. प्यार की गहराई बस डूबने के लिए है ... उभर तो कोई पाता ही नहीं ... भावपूर्ण रचना है ...

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  2. साहसी प्रयोग जीवन में ऊर्जा का संचार करते हैं ,संभावनाओं के नए द्वार खोलते हैं ,रोमांच पैदा करते हैं। सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई।

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  3. साहसी प्रयोग जीवन में ऊर्जा का संचार करते हैं ,संभावनाओं के नए द्वार खोलते हैं ,रोमांच पैदा करते हैं। सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई।

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