खामोश रात के दामन में,
जब झील में पेड़ों के साये,
गहरी नींद में सो जाते है
उदास झील को दर्पण बना
चाँद मुस्कुराता होगा,
सितारों जड़ी चाँदनी की
झिलमिलाती चुनरी ओढ़कर
डबडबाती झील की आँखों में
मोतियों सा बिखर जाता होगा
पहर पहर रात को करवट
बदलती देख कर दिल
आसमां का धड़क जाता होगा
दूर अपने आँगन मे बैठा
मेरे ख्यालों में डूबा वो
हथेलियों में रखकर चाँद
आँखों में भरकर मुहब्बत
मेरे ख्वाब सजाता तो होगा।
जब झील में पेड़ों के साये,
गहरी नींद में सो जाते है
उदास झील को दर्पण बना
चाँद मुस्कुराता होगा,
सितारों जड़ी चाँदनी की
झिलमिलाती चुनरी ओढ़कर
डबडबाती झील की आँखों में
मोतियों सा बिखर जाता होगा
पहर पहर रात को करवट
बदलती देख कर दिल
आसमां का धड़क जाता होगा
दूर अपने आँगन मे बैठा
मेरे ख्यालों में डूबा वो
हथेलियों में रखकर चाँद
आँखों में भरकर मुहब्बत
मेरे ख्वाब सजाता तो होगा।
आपकी प्रकृति पर आधारित रचना बहुत ही अच्छी है ,सुन्दर !
जवाब देंहटाएंआभार "एकलव्य"
जी,आपका बहुत आभार शुक्रिया ध्रुव जी।
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 07 जुलाई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार शुक्रिया दी।
हटाएंसुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका शुक्रिया सुशील जी।
हटाएंहसीन ख़्वाब के गहरे एहसास ...
जवाब देंहटाएंजी, बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका नासवा जी।
हटाएंकल्पनालोक की सुखद यात्रा पर ले जाते शब्द मखमली एहसास और मन के पंछी को उड़ान भरने के लिए पंख दे रहे हैं। वाह श्वेता जी !मनमोहक रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुय बहुत आभार शुक्रिया आपका रवींद्र जी।
हटाएंकल्पनालोक की सुखद यात्रा पर ले जाते शब्द मखमली एहसास और मन के पंछी को उड़ान भरने के लिए पंख दे रहे हैं। वाह श्वेता जी !मनमोहक रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत उम्मीद
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका संगीता जी।
हटाएंवाह ! क्या बात है ! खूबसूरत ज़ज्बात ! बहुत खूब आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका सर।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (07-07-2015) को "शब्दों को मन में उपजाओ" (चर्चा अंक-2660) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका आदरणीय।
हटाएंखूबसूरत ख्याल
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएं