ह्रदय को वो चाहे जितना समझाले
फिर भी तो उसको थोड़ा दुःख होगा।
देख कर हाथो की गीली मेहँदी को
आज स्वयं उसका मुख भी बेमुख होगा।।
कंधे पर जो हाथ कभी रखती थी वो
हरी सौ चूड़ियों से कल भर जाएगा।
चढ़ा हुआ जो आंख तलक एक आँसू
छोड़ नयन को वो भी अब गिर जाएगा।।
पहनकर लाल रेशमी जब वो जोड़ा
श्रृंगार सोलवह कर रूप सँवर आयेगी।
देखकर सौन्दर्य आज उस दुल्हन का
ये रात चांदनी भी कुछ शर्म जायेगी।।
झनक झनक कर पायल भी जब उसकी
धुन छेड़ कर ये बिछड़न राग सुनायेगी ।
सुनकर गीत स्वयं की पायल के मुख से
सुप्त स्मृतियाँ ह्रदय मे घर कर जायेगी ।।
भरा मांग मे उसकी जो सिंदूर ये देखो
आज पवित्रता उसकी और बढ़ायेगा ।
सृजन किया है जीवन भर जिन रिश्तों का
रूप परिवर्तित उनका ये कर गायेगा ।।
लगी हुई बिदिया ये चाँद के मस्तक पर
किसी के प्रति ये समर्पण को दर्शाती है ।
हुआ अधिकृत ये सब तन मन भी उसका
सात जन्मों की रूप-रेखा समझाती है ।।
नई सुबह की नई किरण मे वो आज
तोड़ वादों को कर लेगी स्वयं विदाई ।
चलना ही है इस चलनमय जीवन को
उसने भी इस संसार की रस्म निभाई ।।
करता हूँ अब अंतिम अधिकार समर्पित
याद नही मैं अब उसको कर पाऊंगा ।
मर्म छुपा लूँगा दिल मे सच कहता हूँ
अब मैं नही किसी को बतलाऊँगा
----- हिमांशु मित्रा 'रवि' --
बहुत सुंदर रचना वाह्ह👌
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका आदरणीय
हटाएंआप सभी के साथ जुड़कर बहुत अच्छा लग रहा
ये मेरा सौभाग्य ही है कि मैं आप सभी के साथ जुड़ पाया
धन्यवाद आदरणीय यशोदा जी
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचना। बतलाकर सबको कवि कहे -
जवाब देंहटाएं" मर्म छुपा लूँगा दिल में सच कहता हूँ
अब मैं नही किसी को बतलाऊँगा"
तो बनती है यह अभिव्यक्ति करोड़ों युवा दिलों की धड़कन ..... सुन्दर भावाभियक्ति।
बहुत सुंदर रचना !!!
जवाब देंहटाएंकंधे पर जो हाथ कभी रखती थी वो
जवाब देंहटाएंहरी सौ चूड़ियों से कल भर जाएगा।
चढ़ा हुआ जो आंख तलक एक आँसू
छोड़ नयन को वो भी अब गिर जाएगा।।बहुत ही उम्दा ! लेखन ,सधी व सुन्दर भाव बहुत ख़ूब ! सुन्दर रचना आदरणीय आभार "एकलव्य"
क्या बात है !!!!!!!!!!!!!!! मन की ये आह सिर्फ और सिर्फ वाह की हकदार है !!!!!!!!!!!!!!!! अति सुंदर शिल्प और अप्रितम भावों से रची रचना -----
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएं