हर रात नींद की क्यारी में
बोते है चंद बीज ख्वाब के
कुछ फूल बनकर मुस्कुराते है
कुछ दफ्न होकर रह जाते है
बनते बिगड़ते ज़िदगी के राह में
चंद सपनों के टूट जाने से
जीवन व्यर्थ नहीं हो सकता।
आस निराश के पंखो़ में उड़कर
पंछी ढ़ूढ़े बसेरा पेड़़ो से जुड़कर
कभी मिलती है छाँव सुखों की
धूप तेज लगती है दुखो की
हर दिन साँझ के रूठ जाने से
भोर का सूरज व्यर्थ नहीं हो सकता।
रोना धोना, रूठना मनाना
लड़ना झगड़ना बचपन सा जीवन
जिद में अड़ा कभी उदास खड़ा
खोने का डर पाने की हसरत
कभी बेवजह ही मुस्कुराता चला
मासूम ख्वाहिशों को हाथों मे लिये
चंद खिलौने के फूट जाने से
बचपन तो व्यर्थ नहीं हो सकता।
कुछ भी व्यर्थ नहीं जीवन में
हर बात में अर्थ को पा लो
चंद साँसों की मोहलत मिली है,
चाहो तो हर खुशी तुम पा लो
आँखों पे उम्मीद के दीये जलाकर
हर तम पे विजय तुम पा लो
कुछ गम के मिल जाने से
अर्थ जीवन का व्यर्थ नहीं हो सकता।
#श्वेता🍁
बोते है चंद बीज ख्वाब के
कुछ फूल बनकर मुस्कुराते है
कुछ दफ्न होकर रह जाते है
बनते बिगड़ते ज़िदगी के राह में
चंद सपनों के टूट जाने से
जीवन व्यर्थ नहीं हो सकता।
आस निराश के पंखो़ में उड़कर
पंछी ढ़ूढ़े बसेरा पेड़़ो से जुड़कर
कभी मिलती है छाँव सुखों की
धूप तेज लगती है दुखो की
हर दिन साँझ के रूठ जाने से
भोर का सूरज व्यर्थ नहीं हो सकता।
रोना धोना, रूठना मनाना
लड़ना झगड़ना बचपन सा जीवन
जिद में अड़ा कभी उदास खड़ा
खोने का डर पाने की हसरत
कभी बेवजह ही मुस्कुराता चला
मासूम ख्वाहिशों को हाथों मे लिये
चंद खिलौने के फूट जाने से
बचपन तो व्यर्थ नहीं हो सकता।
कुछ भी व्यर्थ नहीं जीवन में
हर बात में अर्थ को पा लो
चंद साँसों की मोहलत मिली है,
चाहो तो हर खुशी तुम पा लो
आँखों पे उम्मीद के दीये जलाकर
हर तम पे विजय तुम पा लो
कुछ गम के मिल जाने से
अर्थ जीवन का व्यर्थ नहीं हो सकता।
#श्वेता🍁
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 16 जुलाई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका आदरणीय।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (16-07-2017) को "हिन्दुस्तानियत से जिन्दा है कश्मीरियत" (चर्चा अंक-2668) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
हटाएंसुंदर सृजन..........
जवाब देंहटाएंजी, बहुत शुक्रिया आपक।
हटाएंबहुत ही सुंदर !
जवाब देंहटाएंवाह ,,,,क्या बात है,,
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर ....सार्थक...
जवाब देंहटाएंमन को छूती....
लाजवाब प्रस्तुति।
नैराश्य के अंधकार में डूबने से उबारती सार्थक रचना। जीवन में उतार -चढ़ाव का दौर चलता रहता है। कठिन समय में धैर्य ही साथ देता है। सकारात्मकता का विकास ज़रूरी है। प्रेरक रचना की प्रस्तुति के लिए बधाई श्वेता जी।
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