वो बच्चे थे
सब ख़ामोश हो गए
कोई सचिन कोई अटल कोई कलाम बनता
विश्व पटल पर शायद बड़ा कोई नाम बनता
पर अचानक ही सब बेहोश हो गये
बच्चे थे साहेब ............सब ख़ामोश हो गए
बाप का सबर माँ का प्यार टूटा
राखी बहन की दादी का दुलार टूटा
देखते देखते सब ज़मींदोज़ हो गए
बच्चे थे साहेब ............सब ख़ामोश हो गए
चिताओं में अब हम तुमको भी सुला देंगे
बहुत बेशर्म हैं हम तुमको भी भुला देंगें
सियासी दाँव पेंचों से वो सब निर्दोष हो गए
बच्चे थे साहेब ............सब ख़ामोश हो गए
-विवेक माधवार
प्रस्तुतिः संगीता अस्थाना
फेसबुक से
अत्यंत मार्मिक घटना पर भावुक रचना।
जवाब देंहटाएंमानवी तृष्णा का कितना विकृत रूप - और ऐसी घटनाएँ पहले भी होती रही हैं फिर भी कोई नहीं चेता ...
जवाब देंहटाएंसत्य कहा साहब
जवाब देंहटाएंबच्चे थे सब ख़ामोश हो गए ,
मौत के सौदाग़र निर्दोष हो गए
मर्मस्पर्शी ,आभार
"एकलव्य"
बच्चे थे, खामोश हो गए ! इनकी जगह कोई बड़ा नेता या नामचीन होता तो....
जवाब देंहटाएं