अरे पाक ओ चीन
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पल भर में दे तोड़ हम दुश्मन के विषदंत
रहे दुष्ट को तेग हम,
और मित्र को संत।
अरि के काटें कान
हम भारत के वीर जवान
न इतनौ बोदौ बैरी जान
अड़ें
हम डटि-डटि कें।
हर सीना फौलाद
दुश्मन रखियो इतनी याद
मारौ हमने हर जल्लाद
लडें हम डटि-डटि
कें।
अरे पाक ओ चीन
भूमी का लै जायगौ छीन
युद्ध की गौरव-कथा
कमीन
गढ़ें हम डटि-डटि
कें।
रामचरन कूं मान
हमारी ताकत कूं पहचान
फतह के जीवन-भर
सोपान
चढ़ें हम डटि-डटि
कें।
+लोककवि रामचरन
गुप्त
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