सादर अभिवादन
अल्हड बीकानेरी अपनी अलग तरह की शायरी के लिए जाने जाते है आपका मूल नाम श्यामलाल शर्मा है आपको हरियाणा गौरव पुरस्कार, काका हाथरसी पुरस्कार भी मिला है | और आपको 1996 में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया | उनकी पुण्यतिथि के मौके पर उनकी यह ग़ज़ल पेश है आशा है आपको पसंद आएगी |
17 मई 1937 - 17 जून 2009
लफ़्ज़ तोड़े मरोड़े ग़ज़ल हो गई
सर रदीफ़ों के फोड़े ग़ज़ल हो गई
लीद करके अदीबों की महफि़ल में कल
हिनहिनाए जो घोड़े ग़ज़ल हो गई
ले के माइक गधा इक लगा रेंकने
हाथ पब्लिक ने जोड़े गज़ल हो गई
पंख चींटी के निकले बनी शाइरा
आन लिपटे मकोड़े ग़ज़ल हो गई
वाह हास्य और व्यंग की धार लिए सुन्दर ग़ज़ल ... नमन है ...
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