27 जून 1880 - 1 जून 1968
कहते हैं जब सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं तो भगवान एक खिड़की खोल देता है , लेकिन अक्सर हम बंद हुए दरवाजे की ओर इतनी देर तक देखते रह जाते हैं कि खुली हुई खिड़की की ओर हमारी दृष्टी भी नही जाती। ऐसी परिस्थिति में जो अपनी दृण इच्छाशक्ति से असंभव को संभव बना देते हैं, वो अमर हो जाते हैं।दृण संकल्प वह महान शक्ति है जो मानव की आंतरिक शक्तियों को विकसित कर प्रगति पथ पर सफलता की इबारत लिखती है। मनुष्य के मजबूत इरादे दृष्टीदोष, मूक तथा बधिरता को भी परास्त कर देते हैं। अनगिनत लोगों की प्रेरणा स्रोत, नारी जाति का गौरव मिस हेलेन केलर शरीर से अपंग पर मन से समर्थ महिला थीं। उनकी दृण इच्छा शक्ति ने दृष्टीबाधिता, मूक तथा बधिरता को पराजित कर नई प्रेरणा शक्ति को जन्म दिया।27 जून 1880 को जन्म लेने वाली ये बालिका 6 महिने में घुटनो चलने लगी और एक वर्ष की होने पर बोलने लगी। जब 19 माह की हुईं तो एक साधारण से ज्वर ने हँसती-खेलती जिंदगी को ग्रहण लगा दिया। ज्वर तो ठीक हो गया किन्तु उसने हेलन केलर को दृष्टीहीन तथा बधिर बना दिया। सुन न सकने की स्थिती में बोलना भी असंभव हो जाता है। माता-पिता बेटी की ये स्थिती देखकर अत्यधिक दुःखी हो गये। ऐसा लगने लगा कि उनकी पुत्री पर किसी ने मुश्किंलो का वज्रपात कर दिया हो। हेलन का बचपन कठिन दौर से गुजरने लगा, किसी को आशा भी न थी कि कभी स्थिति सुधर भी सकती है।
एक दिन हेलेन की माँ समाचार पत्र पढ रहीं थीं, तभी उनकी नजर बोस्टन की परकिन्स संस्था पर पङी। उन्होने पुरा विवरण पढा। उसको पढते ही उनके चेहरे पर प्रसन्नता की एक लहर दौङ गई और उन्होने अपनी पुत्री हेलन का दुलार करते हुए कहा कि अब शायद मुश्किलों का समाधान हो जाए। हेलन के पिता ने परकिन्स संस्था की संरक्षिका से अनुरोध किया जिससे वे हेलेन को घर आकर पढाने लगी। यहीं से हेलेन केलर की जिंदगी में परिर्वन शुरु हुआ। केलर की अध्यापिका सुलीवान बहुत मुश्किलों से उन्हे वर्णमाला का ज्ञान करा सकीं। एक-एक अक्षर को केलर कई-कई घंटो दोहराती थीं, तब कहीं जाकर वे याद होते थे। धीरे -धीरे वे बोलने का भी अभ्यास करने लगीं जिसमें उन्हें आंशिक सफलता प्राप्त हुई। हेलेन की इस सफलता के पीछे उनका संकल्प बल कार्य कर रहा था। कठिन परिश्रम के बल पर उन्होने लैटिन, फ्रेंच और जर्मन भाषा का ज्ञान प्राप्त कर लिया था। 8 वर्षों के घोर परिश्रम से उन्होने स्नातक की डिग्री प्राप्त कर ली थी। उन्हे सारे संसार में लोग जानने लगे थे। आत्मा के प्रकाश से वे सब देख सकती थीं तथा बधिर होते हुए भी संगीत की धुन सुन सकती थीं। उनका हर सपना रंगीन था और कल्पना र्स्वणिम थी।
सुलिवान उनकी शिक्षिका ही नही, वरन् जीवन संगनी जैसे थीं। उनकी सहायता से ही हेलेन केलर ने टालस्टाय, कार्लमार्क्स, नीत्शे, रविन्द्रनाथ टैगोर, महात्मा गाँधी और अरस्तू जैसे विचारकों के साहित्य को पढा। हेलेन केलर ने ब्रेल लिपि में कई पुस्तकों का अनुवाद किया और मौलिक ग्रंथ भी लिखे। उनके द्वारा लिखित आत्मकथा ‘मेरी जीवन कहानी’ संसार की 50 भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है।
अल्पआयु में ही पिता की मृत्यु हो जाने पर प्रसिद्ध विचारक मार्कट्वेन ने कहा कि, केलर मेरी इच्छा है कि तुम्हारी पढाई के लिए अपने मित्रों से कुछ धन एकत्रित करूँ। केलर के स्वाभिमान को धक्का लगा। सहज होते हुए मृदुल स्वर में उन्होने मार्कट्वेन से कहा कि यदि आप चन्दा करना चाहते हैं तो मुझ जैसे विकलांग बच्चों के लिए किजीए, मेरे लिए नही।
एक बार हेलेन केलर ने एक चाय पार्टी का आयोजन रखा, वहाँ उपस्थित लोगों को उन्होने विकलांग लोगों की मदद की बात समझाई। चन्द मिनटों में हजारों डॉलर सेवा के लिए एकत्र हो गया। हेलेन केलर इस धन को लेकर साहित्यकार विचारक मार्कट्वेन के पास गईं और कहा कि इस धन को भी आप सहायता कोष में जमा कर लिजीए। इतना सुनते ही मार्कट्वेन के मुख से निकला, संसार का अद्भुत आश्चर्य। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि हेलेन केलर संसार का महानतम आश्चर्य हैं।
मार्कट्वेन ने कहा था किः-
19वीं शताब्दी के दो सबसे दिलचस्प व्यक्ति हैं,
“नेपोलियन और हेलेन केलर”
हेलेन केलर पूरे विश्व में 6 बार घूमीं और विकलांग व्यक्तियों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण वातावरण का निर्माण किया। उन्होने करोङों रूपये की धन राशि एकत्र करके विकलांगो के लिए अनेक संस्थानो का निर्माण करवाया। दान की राशि का एक रुपया भी वे अपने लिए खर्च नही करती थीं।
विश्व की अनेक विभूतियों से उनकी मुलाकात हुई थी। मुलाकात के दौरान रविन्द्रनाथ टैगोर तथा पं. जवाहरलाल नेहरु से वे बहुत प्रभावित हुईं थीं। हेलेन केलर की मस्तिष्क शक्ति इतनी जागरुक थी कि वे आगंतुक की पदचाप से ही उसके बारे में बहुत कुछ बता देती थीं। वे विभिन्न रंगो को स्पर्श करके पहचान लेती थीं। ‘एक बार एक व्यक्ति ने उनसे पूछा आप मात्र 19 महिने की थीं जब दिखाई देना बंद हो गया था, तो आप दिन रात कैसे बता पाती हैं। हेलेन केलर का उत्तर विज्ञान सम्मत था, उन्होने कहा कि – दिन में हलचल अधिक होती है। हवा का प्रवाह मंद रहता है। वातावरण में कंपन बढ जाती है और शाम को वातावरण शांत तथा कंपन मंद हो जाती है।‘
विज्ञान ने आज भले ही बहुत उन्नति कर ली हो, लगभग सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर ली हो किन्तु वे अभी भी सबसे खतरनाक शत्रु पर विजय पाने में असर्मथ है, वह शत्रु है मनुष्य की उदासीनता। विकलांग लोगों के प्रति जन साधारण की उदासीनता से हेलेन केलर बहुत दुःखी रहती थीं।
हेलेन केलर का कहना था किः- हमें सच्ची खुशी तबतक नही मिल सकती जबतक हम दूसरों की जिंदगी को खुशगवार बनाने की कोशिश नही करते। हेलेन केलर ने अंधे व्यक्तियों के हित के लिए उन्हे शिक्षित करने की जोरदार वकालत की।
हेलेन केलर को घोङे की सवारी करना बहुत प्रिय था। जब वे घोङे पर बैठकर हवा से बातें करती तो लोगों का ह्रदय अशुभ आशंका की ओर चला जाता। परंतु हेलेन केलर ने दृष्टीबाधिता के बावजूद सभी दिशाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया था। प्रभु के चरणों में जीवन का भार सौंपने वाली हेलेन केलर हमेशा निश्चिंत रहती थीं।
हेलेन केलर का कथन था किः- विश्वास ही वह शक्ति है जिसकी बदौलत ध्वस्त हुआ संसार भी सुख की रौशनी से आबाद हो सकता है।
1943 में,द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हेलेन देश भर के सैनिक अस्पतालों में घूम-घूमकर अंधे, गूंगे तथा बहरे सैनिकों से मिलती रहीं। 1946 में ‘अमेरीकन ब्रेल प्रेस’ को ‘द अमेरीकन फाउनडेशन फॉर ओवरसीज ब्लाइंड ’ नाम दिया गया। जो आज ‘हेलेन केलर इंटरनेशनल’ के नाम से जाना जाता है।
स्वालंबन उनके जीवन का प्रमुख गुण था। भोजन बनाना, वस्त्र पहनना, तथा साफ-सफाई के सभी कार्य़ वे स्वयं करती थीं। 1 जून 1968 को ह्रदय का दौरा पङने से वो इस संसार से विदा हो गईं, परन्तु उनका जीवन प्रत्येक मानव को जन्म-जन्मांतर तक प्रेरणा देता रहेगा। पुरूषार्थ का महत्व बताने वाली हेलेन केलर ने मानवीय चरित्र को नई गरिमा ही नही बल्कि मानव पुष्प को नई सुगंध से सुगंधित किया है। हिम्मत और हौसले की मिसाल हेलेन केलर का सम्पूर्ण जीवन हम सभी के लिए एक उदाहरण है।
हेलेन केलर के सम्मान में मेरे श्रद्धा शब्द सुमनः-
आँधियों को जिद्द थी जहाँ बिजलियाँ गिराने की,
हेलेन केलर को जिद्द थी वहीँ आशियाँ बनाने की।
(हेलेन केलर पर हिन्दी सिनेजगत में फिल्म भी बन चुकी है जिसका नाम ब्लैक था। उसमे हेलेन केलर की भूमिका रानी मुर्खजी ने बहुत ही संजीदगी से अदा की है।)
दिनांक 27/06/2017 को...
जवाब देंहटाएंआप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
आप की प्रतीक्षा रहेगी...
प्रेरणादायक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंhindi me article likhne ke liye kya kya zarurat he sir me bhi aap logo ki company me join hona chahta hu
जवाब देंहटाएंHindi Kahaniya With Moral values 100 Moral Stories in Hindi Best Collection of Moral Stories in Hindi For Kids With Moral values.
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