ब्लौग सेतु....

23 जून 2017

इस से पहले कि बेवफा हो जाएँ ---अहमद फ़राज़

इस से पहले कि बेवफा हो जाएँ
क्यूँ न ए दोस्त हम जुदा हो जाएँ

तू भी हीरे से बन गया पत्थर
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ

हम भी मजबूरियों का उज़्र करें
फिर कहीं और मुब्तिला हो जाएँ

अब के गर तू मिले तो हम तुझसे
ऐसे लिपटें तेरी क़बा हो जाएँ
बंदगी हमने छोड़ दी फ़राज़
क्या करें लोग जब खुदा हो जाएँ

अहमद फ़राज़


2 टिप्‍पणियां:

स्वागत है आप का इस ब्लौग पर, ये रचना कैसी लगी? टिप्पणी द्वारा अवगत कराएं...