अनेक तेवरी-संग्रहों का
एक ही पुस्तकाकार रूप-
“ रमेशराज के चर्चित तेवरी संग्रह “
+अशोक अंजुम
----------------------------------------------------
सार्थक सृजन प्रकाशन, 15/109, ईसानगर, अलीगढ़ से प्रकाशित पुस्तक “
रमेशराज के चर्चित तेवरी संग्रह “ में तेवरी की स्थापना में प्राण-प्रण से जुटे
तेवरीकार श्री रमेशराज ने अनेक तेवरी संग्रहों को एक ही स्थान पर पुस्तकाकार परोसा
है |
‘ सिस्टम में बदलाव ला ‘ के अंतर्गत जहाँ जनकछंद में 19 तेवरियाँ
हैं, वहीं ‘ घड़ा पाप का भर रहा ’ तथा ‘ धन का मद गदगद करे ’, ‘रावण कुल के लोग ’,
‘ककड़ी के चोरों को फांसी ‘, ‘ दे लंका में आग ‘, लम्बी तेरी [तेवर-शतक ] हैं | ‘
होगा वक्त दबंग ‘ के अंतर्गत नवछ्न्दों में तेवरियाँ हैं | ‘ आग जरूरी ‘, ‘ मोहन
भोग खलों को ‘, ‘ आग कैसी लगी ‘, बाजों के पंख कतर रसिया ‘ आदि संग्रहों में अनेक
छंदों के साथ-साथ हाइकु छंद का भी प्रयोग है | ‘ मन के घाव नये न ये ‘ में यमकदार
तेवरियाँ हैं, देखें-
इज्जत यूं उतार, तू मजदूर-गरीब की
रोजनामचा मत दिखा, रोज ना मचा रार |
पुस्तक की विस्तृत भूमिका ‘ तेवरी इसलिए तेवरी है ‘ के अंतर्गत श्री
रमेशराज ने तेवरी के विरोधियों के उपहासों व सवालों का बड़ी बेबाकी से तार्किक
समाधान दिया है |
------------------------------------------------
अभिनव प्रयास,
जनवरी-मार्च 2016, पृष्ठ-33
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
स्वागत है आप का इस ब्लौग पर, ये रचना कैसी लगी? टिप्पणी द्वारा अवगत कराएं...