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4 फ़रवरी 2017





रमेशराज के चर्चित राष्ट्रीय बालगीत
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बाल-गीत
|| हमें वतन प्राणों से प्यारा ||
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भारत की क्यारी-क्यारी पर
इसकी महकी फुलवारी पर,
इसके खेतों, खलिहानों पर
इसकी मोहक मुस्कानों पर,
जन्मसिद्ध  अधिकार हमारा।
हमें वतन प्राणों से प्यारा।।

अरे विदेशी इधर  न आना
मत इसकी मुस्कान चुराना,
आजादी के हम दीवाने
चलते हरदम सीना ताने,
हमको याद ‘तिलक’ का नारा।
हमें वतन प्राणों से प्यारा।।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। हम हैं वीर ‘भगत’ के वंशज।।
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नयी क्रान्ति के अग्रदूत हम
भारत माँ के वो सपूत हम,

फाँसी के फन्दों को चूमें
लिये तिरंगा कर में घूमें।

भारत माँ हित मिट जाएँगे
किन्तु गुलाम न कहलायेंगे,

हमें गुलामी देने वालो
बुरी नजर मत हम पर डालो।

हम हैं वीर ‘भगत’ के वंशज
हमको प्यारी भारत की रज।।
-रमेशराज



बाल-गीत
।। हम भारत के वीर सिपाही।।
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तूफानों से कब घबराते
चट्टानों में राह बनाते,
यदि कोई हमसे टकराये
पल में चूर-चूर हो जाये,
ला देते हम अजब तबाही।
हम भारत के वीर सिपाही।।

लिये तिरंगा बढ़ते जाते
अरि को देख नहीं घबराते,
साहस से हर कदम बढ़ायें
युद्ध-भूमि में भी मुस्कायें,
हम तो हैं मतवाले राही।
हम भारत के वीर सिपाही।।
-रमेशराज



बाल-गीत
।। यह कश्मीर हमारा है।।
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आंतकी गतिविधियाँ छोड़ो
चैन-अमन से नाता जोड़ो,
भोली जनता को मत मारो
काश्मीर में ओ हत्यारो।
इसका पावन चप्पा-चप्पा
प्राणों से भी प्यारा है,
यह कश्मीर हमारा है।।

नफरत के पनपा मत अंकुर
बन मत पाक और यूँ निष्ठुर,
भारत का हर बच्चा अब भी
इन्दिरा गांधी-लाल बहादुर
हम हैं वीर न कायर हम हैं
यह पौरुष कब हारा है।
यह कश्मीर हमारा है।।
-रमेशराज




बाल-गीत
।। अब के मत हमसे टकराना।।
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हमने पहले हाँक लगायी
हिन्दी चीनी भाई-भाई,
हमने मित्र बनाया तुझको
पर तूने बन्दूक उठायी,
कान खोलकर सुन ले चीनी
तू अरि  है, हमने पहचाना।
अब के मत हमसे टकराना।।

हम तुझसे तिब्बत ले लेंगे
अपना शिव पर्वत ले लेंगे,
युद्धभूमि में गँवा चुके हम
वापस वह इज्जत ले लेंगे,
चुन-चुन कर अब तो बींधेंगे
चाहे जो हो लक्ष्य ठिकाना।
अब के मत हमसे टकराना।।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। मार पड़ेगी अब एटम की।।
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दुश्मन से कब रण में हारे
तीर और तलवार हमारे,
चर्चित हैं राणा के भाले
भीम हाथ में गदा सम्हाले,
पाकिस्तान, चीन या कोई
आज न दे युद्ध  की धमकी।
मार पड़ेगी अब एटम की।।

वैसे तो हम शान्तिदूत हैं
गांधी-गौतम के सपूत हैं,
है इतना संदेश हमारा
चैन-अमन हम सबको प्यारा,
दुश्मन ने यदि युद्ध  किया तो
सीमा तोड़ी यदि संयम की।
मार पड़ेगी अब एटम की।।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। माँ की खातिर मिट जायेंगे।।
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‘वन्दे मातरम्’ हम गायेंगे
दुश्मन का दिल दहलायेंगे।

अनुयायी हैं हम गांधी  के
प्रेम-पताका फहरायेंगे।

हम हैं वीर ‘भगत’ ‘बिस्मिल’-से
फाँसी पर भी मुस्कायेंगे।

दीप न बुझने देंगे ‘संच’ का
हम उजियारा फैलायेंगे।

हम माँ के सच्चे सपूत हैं
माँ की खातिर मिट जायेंगे।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। फूलों-सी मुस्कानें बाँटें।।
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हम हर बाधा  काटें-छाँटें
नफरत की खाई को पाटें।

भारत माँ जाँ से प्यारी है
इसकी हर बेड़ी को काटें।

हमको घृणा झूठ से भारी
सच्चाई को हम नहिं नाटें।

हम अरि को पैने त्रिशूल हैं
मित्रों को मखमल की खाटें।

हे प्रभु वर दो हमको इतना
फूलों-सी मुस्कानें बाँटें।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। मेरा भारत देश महान।।
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यह गांधी-गौतम का देश
इसके प्रेम-भरे उपदेश,
यहाँ कबीरा अलख जगाय
सबको साखी-शबद सुनाय,
जन्मे यहाँ संत रसखान।
मेरा भारत देश महान।।

यहाँ शिवाजी की तलवार
लेती अरि का शीश उतार,
दुश्मन पर राणा के रोज़
होती भालों की बौछार,
गाते लोग युद्ध  के गान।
मेरा भारत देश महान।।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। हम भारत की हैं संतानें।।
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रण में धीर वीर हम रखते
सीना तान युद्ध  में डटते,
रण को छोड़ भागता दुश्मन
देख हमारा क्रोधित  तन-मन,
दुश्मन का कब लोहा मानें।
हम भारत की हैं सन्तानें।।

हम राणा हैं वीर शिवाजी
हमसे डरता दुश्मन पाजी,
अरिदल पर बोलें हल्ला हम
भीम सरीखे लिये गदा हम,
रण के बीच संधि क्या जानें।
हम भारत की हैं सन्तानें।।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। यदि कोई हमको ललकारे।।
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हम बचपन से लाल बहादुर
तन से मन से लाल बहादुर।

अन्यायी का हम सर कुचलें
कर्म वचन से लाल बहादुर।

हर दुश्मन की कमर तोड़ दें
हम चिन्तन से लाल बहादुर।

मित्रों  को शीतलता देते
हम चन्दन-से लाल बहादुर।

कोई यदि हमको ललकारे
बनें अगन-से लाल बहादुर।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। भारत माँ के हैं बालक ।।
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बोल बोलते प्यारे हम
दुश्मन को अंगारे हम।

सीमा पर अड़-अड़ लड़ते
कभी न हिम्मत हारे हम।

भारत माँ के हैं बालक
जैसे चाँद सितारे हम।

पहले तीर दुधारी थे
अब एटम को धारे हम।

हर बहरे के कान खुलें
भगत सिंह के नारे हम।

और न होने देंगे अब
भारत के बँटवारे हम।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। पंद्रह अगस्त आया।।
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आजादी की याद दिलाने
भारत का हरमन हरषाने,
भगतसिंह बिस्मिल सुभाष के
सपनों को साकार बनाने,
खुशियाँ अनेक लाया।
पन्द्रह अगस्त आया।

माँ की इस दिन कटी बेड़ियाँ
भारत भू से छँटी आंध्यिाँ,
अंग्रेजों ने भारत छोड़ा
लोकतंत्र की खिलीं वीथियाँ,
यह दिन सबको भाया।
पन्द्रह अगस्त आया।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। करता है ऐलान तिरंगा।।
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भारत की पहचान तिरंगा
जन-जन की मुस्कान तिरंगा।

भगतसिंह बिस्मिल राणा के
गौरव का गुणगान तिरंगा।

अब परतंत्र नहीं भारत है
करता है ऐलान तिरंगा।

आजादी की जलतरंग पर
छेड़े मीठी तान तिरंगा।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। यह भारत अपना प्यारा है।।
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लिये तिरंगा बढ़ते जायें
आजादी का दिवस मनायें।

प्यारा दिन छब्बीस जनवरी
आजादी के गीत सुनायें।

मुश्किल से पायी आजादी
अब युग-युग तक इसे बचायें।

यह भारत अपना प्यारा है
आओ! इस पर प्राण लुटायें।

हम सुखदेव-भगत-बिस्मिल की
कुर्बानी को भूल न जायें।

नव निर्माण हमें करना है
अपने सारे भेद मिटायें।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। हम शान्ति के पुजारी ।।
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दुनिया से प्रेम रखना
पहचान है हमारी,
हम शांति के पुजारी।

हमने कपट की बातें
या झूठ-छल न सीखा,
अपने वचन के पक्के
रद्दो-बदल न सीखा,
हमने अहिंसावादी
हर बात सीखी प्यारी।
हम शांति के पुजारी।।

जब वक्त आया टेढ़ा
बारूद भी बने हैं,
अरिदल के सामने हम
बन्दूक से तने हैं,
जब भी विकल्प रण हो
दुश्मन पे पड़ते भारी।
हम शांति के पुजारी।।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। कभी न गिरता वचन हमारा।।
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मुस्काता यह वतन हमारा
हमको प्यारा चमन हमारा।

किसकी हिम्मत हमसे छीने?
हम धरती  यह गगन हमारा।

हम सुख शान्ति विश्व की चाहें
सदा लक्ष्य है अमन हमारा।

मिटते हम इज्जत की खातिर
कभी न गिरता वचन हमारा।

दुश्मन के आगे हो जाता
अंगारों-सा चलन हमारा।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। वन्देमातरम् गाते रण में।।
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अरि से कब घबराते रण में
रौद्र रूप दिखलाते रण में।

पीठ नहीं हम सिर्फ वक्ष पर
अरि की गोली खाते रण में।

हम निर्भय अब्दुल हमीद से
पैटन टेंक गिराते रण में।

खेलें हँसकर खूँ की होली
वंदे मातरम् गाते रण में।

जिसे देखकर दुश्मन भागे
ताडंव नृत्य दिखाते रण में।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। श्रम के गीत सदा गाते हम।।
.......................................
मेहनत से कब घबराते हम?
श्रम के गीत सदा गाते हम।

तूफानों से टकराते हम
संघर्षों में मुस्काते हम।

अपनी मेहनत पर जीते हैं
औरों का हक़ कब खाते हम?

अपने श्रम के बलबूते पर
खुशहाली घर-घर लाते हम।

मक्कारी छल या फरेब से
रखें न रिश्ते नाते हम।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। अपना जग से न्यारा भारत।।
...........................................
अपना जग से न्यारा भारत
कितना प्यारा-प्यारा भारत।

हमने इसे खून से सींचा
देकर प्राण संवारा भारत।

युद्ध-भूमि में अरि के आगे
कभी न हिम्मत हारा भारत।

उन्नति के नभ पर बस चमके
बनकर एक सितारा भारत।

मित्रों को तो शान्ति दूत-सा
दुश्मन को अंगारा भारत।

सच की नयी राह दिखलाये
जग को दे उजियारा भारत।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। अमृत-जल बरसायेंगे।।
...................................
जग को जगमग चमकायेंगे
नयी रोशनी हम लायेंगे।

पीठ न अरि को दिखलायेंगे
सीने पर गोली खायेंगे।

ऊँच-नीच के, भेदभाव के
गीत नहीं अब हम गायेंगे।

हम पंछी सच के नभ के हैं
आसमान छूकर आयेंगे।

हम बादल हैं प्रेम शान्ति के
बस अमृत-जल बरसायेंगे।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। हम बच्चे सरसों के दाने ।।
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आज़ादी के हम दीवाने
बढ़ते रण में सीना ताने।

दुश्मन को हम पलक झपकते
चित्त गिराते चारों खाने।

कल वसंत लेकर आयेंगे
हम बच्चे सरसों के दाने।

सच्चे हैं कथनी-करनी से
रुपये में हम सोलह आने।

युद्धभूमि में लग जाते हम
शिव-सा तांडव नृत्य दिखाने।

अरि को हैं हम फरसे-भाले
अपने हैं अन्दाज पुराने।
-रमेशराज



बाल-गीत
।। बढ़ते जाना धर्म  हमारा।।
........................................
बस मुस्काना धर्म  हमारा
प्यार लुटाना धर्म हमारा।

हिन्दू मुसलमान सिख सबको
गले लगाना धर्म हमारा।

मेहनत की सच्ची राहों पर
चलते जाना धर्म हमारा।

जात-पाँत के, ऊँच-नीच के
भेद मिटाना धर्म हमारा।

भले मिलें राहें पथरीली
बढ़ते जाना धर्म हमारा।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। जान निछावर कर जाते हैं।।
............................................
पहने हम केसरिया बाना
सीख रहे बन्दूक चलाना,
हमने बचपन से सीखा है
अपने अरि को सबक सिखाना।

मुश्किल कितनी भी आ जायें
कभी नहीं उनसे डरते हैं,
दुश्मन सीमा पर आ जाये
दांत तभी खट्टे करते हैं।

हम भारत के वीर सिपाही
पीठ कभी ना दिखलाते हैं,
अगर जरूरत पड़े हमारी
जान निछावर कर जाते हैं।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। अपने शीश भले कट जायें।।
..............................................
सतपथ पर हम बढ़ते जायें
कीर्ति पताका को फहरायें।

शोषित, पीड़ित व्यक्ति जहां हों
वहाँ प्यार के फूल खिलायें।

विश्व-शान्ति के बने पुजारी
भारत की बगिया महँकायें।

सत्य,अहिंसा और कर्म से
जन-जन को जुड़ना सिखलायें।

भारत माँ की शान न जाये,
एक यही प्रण भूल न पायें।

सबसे ऊँचा रहे तिरंगा
अपने शीश भले कट जायें।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। भारत की सौगंध हमें है।।
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काले दिवस न लाने देंगे
नहीं गुलामी आने देंगे।

भारत की सौगन्ध हमें है
गीत न तम के गाने देंगे।

अरि को अपनी भू पर झंडे
कभी नहीं फहराने देंगे।

चाहे प्राण चले जायें पर
अपना मान न जाने देंगे।

हिन्दू,मुस्लिम, ईसाई के
भेद नहीं पनपाने देंगे।

खाते हैं हम कसम शत्रु  को
जाल न और बिछाने देंगे।
-रमेशराज


बाल-गीत
।। राम और नानक को मानें।।
................................................
राम और नानक को मानें
अपनी मर्यादा पहचानें।

सज्जन को हम सदा दयालु
दुश्मन पर बन्दूकें तानें।

हम हैं फूल सुगंधों  वाले
बाँटेंगे अपनी मुस्कानें।

चलने कहीं नहीं देंगे हम
खोटी चलन भरी दूकानें।

अपने नभ छूते सपनों की
देखेगा जग रोज उठानें।
-रमेशराज


बाल-गीत
|| हम अब्दुल हमीद बन जाते ||
..............................................

हर अरिब्यूह तोड़ देते हम
अपनी छाप छोड़ देते हम।

हम अब्दुल हमीद बन जाते
पैटन टेंक तोड़ देते हम।

बुरी आँख जो हम पर डाले
आँखें तुरत फोड़ देते हम।

अब भी हम में इतनी हिम्मत
युग की धार मोड़ देते हम।
-रमेशराज


बाल-गीत
|| भारत भू पर बलि-बलि जाओ ||
...............................................
आओ बंटी बबलू आओ
देश प्रेम के गीत सुनाओ।

आओ रधिया ,रतिया आओ
भारत भू पर बलि-बलि जाओ।

आओ मोहन, अब्दुल आओ
जाति कौम के भेद मिटाओ।

आओ सूफी सन्तो आओ
सच का मारग हमें सुझाओ

आओ सारे भारतवासी
वंदेमातरम् गान गुँजाओ।
+रमेशराज



|| नहीं तिरंगा झुकने देंगे ||
...........................................................
वीर भगत, बिस्मिल से बनके
खट्टे दाँत करें दुश्मन के।

कभी नहीं हम होने देंगे
टुकड़े इस खुशहाल वतन के।

जिसको नेह प्रेम कहते हैं
हम मालिक हैं ऐसे धन के।

नहीं तिरंगा झुकने देंगे
लाखों टुकड़े बनें बदन के।

आज भले हम लगें कोयला
गुण अपनायेंगे कंचन के।
+रमेशराज



|| आओ अपना देश बचायें||
........................................
आओ भारत-भारत खेलें
दुश्मन से हम टक्कर लेलें।

आओ अपना देश बचायें
वीर सुभाष ,भगत बन जायें।

आओ मीठा-मीठा बोलें
कानों में मिसरी-सी घोलें।

आओ नेक काम यह कर लें
सारे जग की पीड़ा हर लें।

सीमा पर प्रहरी बन जायें
आओ अरि को मार भगायें।
+रमेशराज



|| फूल झरें अपने उत्तर में ||
..........................................
लिये पताका अपने कर में
कूद पड़ें हम वीर समर में।

माँ की रक्षा करते हरदम
हो सीमा या अपने घर में।

करते हैं विश्वास हमेशा
कबिरा के ढाई अक्षर में।

प्रश्न प्यार के पूछे कोई
फूल झरें अपने उत्तर में।

बगिया-बगिया, उपवन-उपवन
बोलें हम कोयल के स्वर में।
+रमेशराज


|| हम बच्च हैं भोले-भाले ||
......................................
हर हर महादेव बोलेंगे
पोल खलों की हम खोलेंगे।

भगत सिंह हम बन जायेंगे
क्रान्ति-पताका फहरायेंगे।

अब भी हमें ‘तिलक’ के नारे
लगते हैं प्राणों से प्यारे।

बापू की जयकार करें हम
प्रीति प्यार के रंग भरें हम।

हम बच्च हैं भोले-भाले
रक्षा को बन्दूक सम्हाले।
+रमेशराज



+बालगीत
|| हम बच्चे नादान नहीं हैं ||
.......................................
आफत में  मुस्काना सीखे
अपने वचन निभाना सीखे।

नफरत के हम गीत न गाते
सबसे प्यार जताना सीखे।

वैर-द्वेष की-भेदभाव की
हर दीवार गिराना सीखे।

हम सुखदेव, राजगुरु  जैसे
फाँसी पर मुस्काना सीखे।

हम भागीरथ है इस युग के
भू पर गंगा लाना सीखे।

हम बच्चे नादान नहीं हैं
ज्ञान-प्रकाश बढ़ाना सीखे।
+रमेशराज
................................................................
-रमेशराज, 15/109, ईसानगर, अलीगढ़-202001

मो.-9634551630    

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