फुर्सत के पलों में तेरे साथ जिया
हर लम्हा याद आता है।।
हफ्तों से गुमसुम बादलों से ढका
आसमान का वो खाली कोना याद आता है।
कोहरे की चादर संग बारिश मे भीगते हुए
तुमसे बिछड़ना याद आता है।
छोटी सी पहाड़ी उस पे मन्दिर
मन्दिर का दीपक याद आता है।
बादल बरसे या बरसी आँखें
आँखों का गीलापन याद आता है।
फुर्सत के पलों में तेरे साथ जिया
हर लम्हा याद आता है।।
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आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 01 नवम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया यशोदा जी .
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