मेरी आदत नहीं है
कोई रिश्ता तोड़ देना !
मुझे किसी ने कहा था
मोड़ देकर छोड़ देना !!(गुलज़ार )
एक तुम हो कि
मेरी कोई बात नहीं सुनते
और कभी यही कहते थे
दर्द मुझसे जोड़ देना !!
ये क्या है मेरा तुम्हारा
ना तो बना ना ही टूटा
फिर निभाने की शर्त पे
अब क्या ही जोर देना !!
मैं चाहता हूँ यही
अब रहे बनकर के अजनबी
क्यों मन की ख्वाहिशों को
इस दर्द का कोर देना !!
शुरू की चार पंक्तियाँ गुलज़ार सर की है।
थैंक यूँ सर मेरे साथ होने के लिए :)
सुन्दर रचना पर चार पंक्तियाँ अलग कर गुलजार लिखें ।
जवाब देंहटाएंsir...bracket mein likh diya hai
जवाब देंहटाएंजरूरी होता है :)
हटाएंआभार।
i have done sir :)
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