एक अरसा हुआ तुमको सोचे हुए
ज़िन्दगी अनकही सी कहानी बनी
जो रखा हाथ अपनी तन्हाई पर
दिल की गहराइयाँ पानी पानी बनी !!
आज फिर तुम में जो ऐसे उलझी हूँ मैं
सच कहूं तो हाँ आज सुलझी हूँ मैं
छितरे बितरे से सपनों के चाँद पर
फिर तुम्हारी हंसी की निशानी बनी !!
रोज तुम से ही तो ऐसे कटती हूँ मैं
पलकों से तुम्हारी ही छटती हूँ मैं
आज खींची लकीरें जो तुमने नयी
यूँ लगा लोरियां कुछ सयानी बनी !!
कुछ सवालों के जवाब अब भी होते नहीं
ख्याल अक्सर अब भी तुम्हारे सोते नहीं
चुप करनी पड़ती है अब भी कहानियाँ
जो बेतरतीब सी,बेतरकीब सी 'कनानी ' बनी !!
कनानी का मतलब 'खूबसूरत ' है
पारुल
rhythmofwords.blogspot.in
वाह...
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता
बधाइयां व स्वागत
थोड़ा सम्पादित कर रही हूँ
सादर..
Thank yu yashoda ji :)
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंThank yu sir
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही लाजवाब
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