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10 अक्टूबर 2016

नफ़रत यूँ ही रहने दो - निशा चौधरी

नफ़रत
यूँ ही रहने दो
अपनी आँखोँ मेँ
इन्हेँ देखकर अच्छा लगता है
अच्छा लगता है कि
नफ़रत ही बन कर सही
आख़िर हूँ तो इनमेँ

लेखक परिचय - निशा चौधरी 


5 टिप्‍पणियां:

  1. पावन विजयदशमी की मंगलकामनाएं...
    सुंदर रचना....

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  2. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (12-10-2016) के चर्चा मंच "विजयादशमी की बधायी हो" (चर्चा अंक-2492) पर भी होगी!
    विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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