अतरंगी सा रंग रहा
सतरंगी सँसार
सहस्त्र रंग का हो रहा
निश दिन कारोबार !
हर रंग खिल खिल कहे
काहे पँख पसारे नाय
बेरंगी सँसार को
पल मै रंग दे आय !
पवन बहे परवाज़ रंग
नदी निरन्तरता नीर
पाहन चढ़ चट्टान को
रंग देते कर्मठ वीर !
दुख सुख और अवसाद के
होते रंग हजार
छाये जब सँतोष रंग
सब मिल एक रंग बन जाये !
डॉ.इन्दिरा गुप्ता ✍
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन स्वतंत्रता सेनानी - ऊधम सिंह और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएं