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4 दिसंबर 2017

युवा शक्ति



सूरज   का भी   तेज लिए  जो 
       है युवा  हम   वो    शक्तिशाली 
खण्ड नही कर सकता जिंसके
       है उस अखण्ड  देश की डालीे

ओत-प्रोत   है यौवन  से  हम
       और नही है असमर्थ विकल्प 
आवाहन कर  युवा क्रांति का 
        लिया है  परिश्रम  का संकल्प

नही   असम्भव  हमारे  लिये
        कर के सब कुछ दिख लायेंगे
पराकाष्ठा    वीरत्व     छुकर 
        अपना    महत्व    बतलायेंगे

हम  दिव्यमौन  महाशून्य  के 
         अर्द्धरात्रि  का है  हम प्रकाश 
नही लोभ धन  सत्ता का हमे
         लिया है इन सभी से सन्यास

चंचलता से  परिपूर्ण  ह्रदय 
        जिंसने  सीखा  है  सदाचार
हर कष्ट सहन कर सकते है 
        नही  सहा  जाता  भ्रष्टाचार

जो  छायी है  इस  अम्बर मे 
        सूरज की  वो  लाली है  हम
सब के चेहरो पर जो बनकर 
        चमके वो  खुशहाली  है  हम

जिन  आदर्शो  के लिए  हमने 
        मृत्यु  का भी  वरण  किया है 
नवकिरण  नही  छोड़ी  तुमने 
        स्वप्नों  का  भी  हरण किया है

तुम्ही निर्णायक युवा क्रांति के 
        तो फिर तुम लो जनघोष करो 
क्रांति सारथी तुम ही  बन कर 
        अब हम सब  मे जल्लोष भरो

प्रबल  भीड़  है  अज्ञानो  की
        भरना हो तो  कुछ  ज्ञान भरो 
हम शक्ति  है राष्ट्रीय  हित की 
        दृढ   संकल्प   सम्मान   करो

खाक  छान लो  चाहे तुम भी 
        वेद  पुराण हर  इतिहास  की
वो शक्ति है हम जिंसने कभी
        लिखी नही कथा परिहास की

अंतस  की  परम  दिव्यता मे
        जग उठा   बंधुत्व   का नारा
सर्वज्ञ शक्ति भाव मे  लिपटा 
        सहिष्णुता    संदेश    हमारा

अद्वैत  निद्रा  से  अब  न जागे 
         समय  निरर्थक   फिर  होना है 
शांति  रूपी  अखण्ड  देश की 
        सर्वत्र  छवि को  फिर  खोना है

नही  आग है  इन  हाथो मे 
           हम खुद ही  एक चिंगारी है 
अंधता और  अत्याचारो से 
         युद्ध  हमारा फिर  जारी  है

ये  युवा   ही   राष्ट्र  शक्ति  है 
         देश  कर्म   फैला  कर  देखो 
हम सब ही तो सिद्ध युक्ति है 
         दृढसंकल्प  जगा  कर  देखो


       ---- हिमांशु मित्रा 'रवि' 

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