ब्लौग सेतु....

31 अक्तूबर 2016

"फिर मिलते हैं'

लम्बी खामोशी के बाद
एक दिन आवाज आई
“चलो फिर मिलते हैं’
तीर सी सिहरन
समूचे वजूद को सिहरा गई
कुछ देर की चुप्पी
और अन्तस् से एक आवाज उभरी
ऐसा है - “वक्त गुजर गया”
अब की बार नही
अगली  बार मिलेंगे
बहुत काम बाकी हैं
जो हमारे साझी थे
कुछ मेरे और कुछ तुम्हारे
तुम्हारे पास शायद फुर्सत है
कुछ पुनरावलोकन कर लो
अगली बार ऐसा करना
मेरे और तुम्हारे काम साझा करना
अगर उसने चाहा तो
तो एक बार और सही
“चलो फिर मिलते हैं .”

XXXXX

5 टिप्‍पणियां:

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