ज़िदगी की शोर में
गुम मासूमियत
बहुत ढ़ूँढ़ा पर
गलियों, मैदानों में
नज़र नहीं आयी,
अल्हड़ अदाएँ,
खिलखिलाती हंसी
जाने किस मोड़ पे
हाथ छोड़ गयी,
शरारतें वो बदमाशियाँ
जाने कहाँ मुँह मोड़ गयी,
सतरंगी ख्वाब आँखों के,
आईने की परछाईयाँ,
अज़नबी सी हो गयी,
जो खुशबू बिखेरते थे,
उड़ते तितलियों के परों पे,
सारा जहां पा जाते थे,
नन्हें नन्हें सपने,
जो रोते रोते मुस्कुराते थे,
बंद कमरों के ऊँची
चारदीवारी में कैद,
हसरतों और आशाओं का
बोझा लादे हुए,
बस भागे जा रहे है,
अंधाधुंध, सरपट
ज़िदगी की दौड़ में
शामिल होती मासूमियत,
सबको आसमां छूने की
जल्दबाजी है।
लेखक परिचय - #श्वेता सिन्हा
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 12 मई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआभार दी आपका बहुत सारा शुक्रिया।।
हटाएंवाह ! ,बेजोड़ पंक्तियाँ ,सुन्दर अभिव्यक्ति ,आभार। "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार शुक्रिया ध्रुव जी।
हटाएंसंजय जी मेरा सौभाग्य आपने मेरी रचना को मान दिया।बहुत बहुत शुक्रिया आपका।।
जवाब देंहटाएंसुन्दर।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत आभार सुशील जी...बहुत शुक्रिया।।
हटाएंसचमुच बचपन गुम हो गया है कही मोटी मोटी किताबों में या फिर प्रतिस्पर्धा में....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर ......लाजवाब रचना लिखी है आपने...बधाई...
बहुत बहुत आभार सुधा जी।
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंBeautiful lines.
जवाब देंहटाएंBeautiful lines.
जवाब देंहटाएंआभार बहुत शुक्रिया अनीशा जी।
हटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंजी बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (14-05-2017) को
जवाब देंहटाएं"लजाती भोर" (चर्चा अंक-2631)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
जी महोदय बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका।बहुत माफी चाहेगे हम कुछ व्यस्त रहने की वजह से हम समय से उपस्थित न हो सके।आपने मान दिया आपका बहुत बहुत आभार शुक्रिया है।
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआभार आपका शुक्रिया बहुत सारा।
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