ब्लौग सेतु....

18 मई 2017

हज़ल




हज़ल 
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बोलै मति हमकूँ ठलुआ
हमतौ चाकी के गलुआ

प्रेम-बाँसुरी बजा रहे हम
हमकूँ कहियो मत कलुआ 

बूँद-बूँद यूँ दिन-भर टपकें
नैना सरकारी नलुआ

साली मुस्का ऐसे बोली
जीजा तुम रहे रहलुआ 

द्यौरानी भी यार जेठ को
होली पै बोलै ललुआ

+ रमेशराज +

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