तेवरी
|| तेवरी ||
जनता की थाली बम भोले
अब खाली-खाली बम भोले
|
श्रम जिसके खून-पसीने
में
उसको ही गाली बम भोले
|
इस युग के सब गाँधीवादी
कर लिए दुनाली बम भोले
|
अब केवल दिए सियासत ने
हकखोर-मवाली बम भोले
|
छलिया की सूरत संतों-सी
अति भोली-भाली बम भोले
|
अबला की चीख़ें सुनी नहीं
बस गाय बचा ली बम भोले
|
+रमेशराज
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
स्वागत है आप का इस ब्लौग पर, ये रचना कैसी लगी? टिप्पणी द्वारा अवगत कराएं...