|| पद जैसी शैली में तेवरी ||
कैसे भये डिजीटल ऊधौ
पहले थे हम सोने जैसे , अब हैं पीतल ऊधौ |
अब हर बात तुम्हारी लगती
है छल ही छल , है छल ही छल , है छल ही छल ऊधौ |
कहकर अच्छे दिन आयेंगे
पाँव पाँव में डाल रहे हो सबके साँकल ऊधौ |
पी ली हमने कड़वी औषधि
रोग हमें क्यों घेर रहे फिर बोलो पल
पल ऊधौ |
+रमेशराज
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