|| तेवरी ||
हिंसा से भरा हुआ नारा
अब बोले धर्म बचाना है
हर ओर धधकता अंगारा अब
बोले धर्म बचाना है |
जो कभी सहारा नहीं बना
अपने बूढ़े माँ-बापों का
ऐसा हर लम्पट-आवारा अब
बोले धर्म बचाना है |
बस्ती-बस्ती भय पसर रहा,
सदआशय थर-थर काँप रहे
संवेगों का चढ़ता पारा
अब बोले धर्म बचाना है |
धरती पर बहता खून देख
‘ गौतम ‘ की आँखों में आँसू
हंसों का पापी हत्यारा
अब बोले धर्म बचाना है |
गाँधी को गाली ये देता
लेता संतों का नाम नहीं
असुर सरीखा-मतिमारा अब
बोले धर्म बचाना है |
+रमेशराज
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