अभी उम्मीद ज़िदा है अभी अरमान बाकी है
ख्वाहिश भी नहीं मरती जब तक जान बाकी है
पिघलता दिल नहीं अब तो पत्थर हो गया सीना
इंसानियत मर रही है नाम का इंसान बाकी है
कही पर ख्वाब बिकते है कही ज़ज़्बात के सौदे
तो बोलो क्या पसंद तुमको बहुत सामान बाकी है
कहने में क्या जाता है बड़ी बातें ऊसूलों की
मुताबिक खुद के मिल जाए वही ईमान बाकी है
आईना रोज़ कहता है कि तुम बिल्कुल नहीं बदले
बिना शीशे के भी खुद से मेरी पहचान बाकी है !
ख्वाहिश भी नहीं मरती जब तक जान बाकी है
पिघलता दिल नहीं अब तो पत्थर हो गया सीना
इंसानियत मर रही है नाम का इंसान बाकी है
कही पर ख्वाब बिकते है कही ज़ज़्बात के सौदे
तो बोलो क्या पसंद तुमको बहुत सामान बाकी है
कहने में क्या जाता है बड़ी बातें ऊसूलों की
मुताबिक खुद के मिल जाए वही ईमान बाकी है
आईना रोज़ कहता है कि तुम बिल्कुल नहीं बदले
बिना शीशे के भी खुद से मेरी पहचान बाकी है !
बहुत बहुत आभार शुक्रिया संजय जी आपका।
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